Day: April 25, 2024

अभीक्ष्ण-ज्ञानोपयोग

जो संवर का आदर तथा निर्जरा की इच्छा करता है, वह आत्मरसिक अभीक्ष्ण-ज्ञानोपयोग को जानता/ उसके निकट रहता है। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (तिथ्य भा.–

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आत्मा / कर्म

पानी में काई होती है, तब पानी काई के रंग का दिखने लगता है। पर पानी काई नहीं हो जाता है। आत्मा में कर्म हैं।

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मंगल आशीष

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April 25, 2024