अभ्यास
विषकन्याओं के प्रभाव से बचाने के लिये राजाओं को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में विष दिया जाता था, चाणक्य भी चंद्रगुप्त को विष दिलवाते थे।
हमको भी बड़े-बड़े दुखों को सहने के लिये छोटे-छोटे दुखों को सहने का अभ्यास करना चाहिये।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
मुनिश्री के अभिप्राय को वैक्सीनेशन के उदाहरण से भी अच्छी तरह से स्पष्ट कर सकते हैं।
डाॅ.सौरभ – विदिशा/ कमल कांत
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मुनि श्री प़माणसागर महाराज जी ने अभ्यास का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में कोई भी कार्य करना हो उसके लिए अभ्यास करते रहना परम आवश्यक ।