धन से नहीं, मन से अमीर बनें,
क्योंकि
मंदिरों में स्वर्ण कलश भले ही लगे हों लेकिन नतमस्तक पत्थर की सीढ़ियों पर ही होना पड़ता है।
(सुरेश)
(महत्व मूल्य का नहीं, उपयोगिता का है >>> सीढ़ियाँ ऊपर उठाती हैं/ भगवान के पास ले जाती हैं)
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उपरोक्त कथन सत्य है कि धन से नहीं बल्कि मन से अमीर बनना चाहिए क्योंकि मन्दिर में स्वर्ण कलश भले ही लगे हो लेकिन नतमस्तक पत्थर की सीढियों पर ही होना पड़ता है! अतः जीवन में जो मन से अमीर बन जाता है वही जीवन का कल्याण करने में समर्थ हो सकता है!
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उपरोक्त कथन सत्य है कि धन से नहीं बल्कि मन से अमीर बनना चाहिए क्योंकि मन्दिर में स्वर्ण कलश भले ही लगे हो लेकिन नतमस्तक पत्थर की सीढियों पर ही होना पड़ता है! अतः जीवन में जो मन से अमीर बन जाता है वही जीवन का कल्याण करने में समर्थ हो सकता है!