अरति

दूसरे में (मन, वचन, काय से) अरति (Disliking) पैदा करना,
ये विरति/विरक्त्ति नहीं है ।
अरति में लेने के भाव तो होते हैं, पर ऐसे हालात बना देना कि ले न पाये।
जैसे मकान मन से बनवाया पर उसमें वास्तुदोष बता दिया।

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

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One Response

  1. अरति का तात्पर्य जिस कर्म के उदय से देश,काल आदि के प्रति उत्सुकता नहीं होती है, उसे कहते हैं। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि दुसरे में मन वचन काय से अरति पैदा करना,यह विरति या विरक्ति नहीं है, अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि अरति में लेने के भाव तो होते हैं,पर ऐसे हालत बना देना कि ले न पाये। अतः जीवन में हमेशा उत्सुकता होना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।

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