अरहंता यानि पुण्य-फल,
पंचकल्याणक अरहंत के होते है ।
अर्हत् यानि पूजा/योग्यता ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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अर्हन्त- -जो वीतराग,सर्वज्ञ और हितोपदेशी है वे अर्हन्त परमेष्ठी कहलाते हैं।अर्हन्त परमेष्ठी तीन लोक में पूज्य होते हैं। अतः अरहंता यानी पुण्य-फल एवं पंचकल्याणक अरहंत के ही होते हैं। अर्हन्त यानी पूजा के योग्य होते हैं।
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अर्हन्त- -जो वीतराग,सर्वज्ञ और हितोपदेशी है वे अर्हन्त परमेष्ठी कहलाते हैं।अर्हन्त परमेष्ठी तीन लोक में पूज्य होते हैं। अतः अरहंता यानी पुण्य-फल एवं पंचकल्याणक अरहंत के ही होते हैं। अर्हन्त यानी पूजा के योग्य होते हैं।