अर्हंत् रूप है।
पूजा तथा भक्ति में एवं बीजाक्षर के रूप में, ध्यान में भी प्रयोग किया जाता है।
मुनि श्री सुधासागर जी
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मुनि श्री सुधासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि अर्हम एक बीजाक्षर है, जो पूजा तथा भक्ति में तथा ध्यान के रूप में प़योग किया जाता है! अतः अर्हम बोलने पर कर्म कटते में सहायक होता है!
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मुनि श्री सुधासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि अर्हम एक बीजाक्षर है, जो पूजा तथा भक्ति में तथा ध्यान के रूप में प़योग किया जाता है! अतः अर्हम बोलने पर कर्म कटते में सहायक होता है!