आयुबंध

कषाय के उदय स्थानों में 8 मध्यम अंश हैं जो आयुबंध के योग्य हैं।
हर लेश्या में – शिला, पृथ्वी, धूलि, जल जैसी तीव्रता, तो पृथ्वी तथा धूलि के 4+4 स्थान, मध्यम अंश हुए।

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (जीवकांड -गाथा – 518)

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One Response

  1. मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने आयुबंध का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है।

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