आस्था एक पर
जिस दुकान से माल लेते आये हो, हमेशा उस पर ही भरोसा रखें।
यदि उनकी दुकान पर आपका माल नहीं होगा तो दूसरे की दुकान से भी लाकर देगा जैसे ॠषभनाथ मुनि जब ध्यानयोग में बैठ गये तो उनके दो नाती अड़ गये कि राज्य तो हम ऋषभनाथ जी से ही लेंगे तब इन्द्र को मजबूर होकर विक्रिया से ऋषभनाथ जी बनाने पड़े और उनसे ही राज्य दिलवाया।
मुनि श्री सुधासागर जी
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विक़िया का मतलब छोटा बढा, हल्का आदि अनेक प्रकार के शरीर बना लेना होता है, उक्त विक़िया करने की सामर्थ्य सिर्फ साधुओं में रहती है। अतः मुनि महाराज का कथन सत्य है कि आस्था एक पल होना चाहिए। अतः आस्था धर्म एवं गुरुओं पर करना आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।