आहारक शरीर बनते समय 10 प्राण ही रहेंगे क्योंकि जब आहारक – शरीर नामकर्म का उदय होता तब औदारिक का उदय नहीं रहेगा ।
ऐसे ही जब आहारक से औदारिक में वापस आयेगा तब पहले से बने बनाये शरीर में प्रवेश कर जायेगा, सो अपर्याप्तिक अवस्था नहीं आयेगी ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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आहारक—जो जीव औदारिक आदि तीन शरीरों में से उदय की प्राप्ति किसी एक शरीर के योग्य पुदगलो को ग़हण करता है वह आहारक कहते हैं।
आहारिक शरीर जिस शरीर के द्वारा केवली भगवान् के पास जाकर जिज्ञासा का समाधान करते हैं उसे कहते हैं।
अतः यह कथन सत्य है कि आहारिक शरीर बनते समय 10प़ाण ही रहेंगे क्योंकि जब आहारिक-शरीर नाम कर्म का उदय होता है तब औदारिक का उदय नहीं रहेगा। ऐसे ही आहारिक से औदारिक में वापिस आवेगा तब पहले से बने बनाये शरीर में प्रवेश कर जायेगा,सो अपर्याप्तक में अवस्था नहीं जावेगी।
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आहारक—जो जीव औदारिक आदि तीन शरीरों में से उदय की प्राप्ति किसी एक शरीर के योग्य पुदगलो को ग़हण करता है वह आहारक कहते हैं।
आहारिक शरीर जिस शरीर के द्वारा केवली भगवान् के पास जाकर जिज्ञासा का समाधान करते हैं उसे कहते हैं।
अतः यह कथन सत्य है कि आहारिक शरीर बनते समय 10प़ाण ही रहेंगे क्योंकि जब आहारिक-शरीर नाम कर्म का उदय होता है तब औदारिक का उदय नहीं रहेगा। ऐसे ही आहारिक से औदारिक में वापिस आवेगा तब पहले से बने बनाये शरीर में प्रवेश कर जायेगा,सो अपर्याप्तक में अवस्था नहीं जावेगी।