उतावली
आप चाहे कितनी भी उतावली कर लो/ दौड़ लो, दुनियाँ अपनी गति से ही चलती रहेगी।
हड़बड़ी में काम खराब तथा कर्म बंध भी ज्यादा होते हैं।
चिंतन
आप चाहे कितनी भी उतावली कर लो/ दौड़ लो, दुनियाँ अपनी गति से ही चलती रहेगी।
हड़बड़ी में काम खराब तथा कर्म बंध भी ज्यादा होते हैं।
चिंतन
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One Response
उपरोक्त कथन सत्य है कि आप चाहें कितनी उतावली कर लो या दौड लो दुनियाँ अपनी गति से चलती रहेगी! अतः जीवन का कल्याण करना हो तो किसी भी कार्य में उतावली नहीँ रहना चाहिए!