उत्तम आर्जव धर्म
मायाचारी ज्ञानावरण, दर्शनावरण कर्मबंध में कारण है क्योंकि तत्त्वार्थसूत्र जी में निह्नव, मात्सर्य निमित्त कहे हैं।
मन,वचन,काय की स्थिरता केवलज्ञान प्राप्ति में हेतु है। तो इनका उपयोग सही और कम से कम करें।
मन-योग सूक्ष्म, वचन सूक्ष्म-स्थूल तथा काय स्थूल होते हैं। इसलिये पहले काय से मायाचारी समाप्त करें।
मुनि श्री मंगल सागर जी
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उत्तम आर्जव धर्म में कपट, मायाचारी से बचने का प़यास करना परम आवश्यक है ताकि जीवन में मन वचन, काय में सरलता होना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
काय से मायाचारी kaise समाप्त करें ?
Body language वैसी ही हो जैसे भाव तथा वचन हों।
Okay.