उत्तम ब्रम्हचर्य
- पांचों इंद्रियों के विषयों से विरक्त होने का नाम ही उत्तम ब्रम्हचर्य है ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
- मस्तिष्क माचिस की डिब्बी है, घिसने से आग निकलती है, वासना की ओर घिसी तो जंगल के जंगल धू-धू कर जलने लगते हैं ।
सही दिशा में दीपक जलकर प्रकाश और भगवान की आरती के लिए तैयार हो जाते हैं ।
- 3 सैकिंण्ड से ज्यादा किसी सुंदर चीज को देखा तो शरीर में रसायनिक क्रियांयें होने लगती हैं ।
- सावधान – संसार का फ़र्श चिकना है और उस पर ढ़ेरों केले के छिलके फ़िसलने के लिए पड़े हैं ।
( आज का वातावरण चिकना फ़र्श है और छिलके निमित्त जैसे-टी.वी., कम्प्यूटर आदि )
मुनि श्री सौरभसागर जी