उत्तम मार्दव धर्म
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- मार्दव धर्म का बुंदेलखंड़ में मतलब – मान को मार दओ, उससे बना मार्दव ।
- मानना तभी संभव जब मान+ना, मान नहीं रहे,
या कहें मान जा, जब मान चला जाता है तभी जीवन में धर्म आता है ।
और जो नहीं मानता उसके जीवन में अधर्म । - किसकी मानना ?
देव, गुरू, शास्त्र की मानना । - मान करने वाले की तीन क्या कमजोरियाँ ?
मंच, माला और माईक । - पत्थर में भगवान मान लेने से भगवान मिल जाते हैं/हम भगवान जैसे बन जाते हैं ।
भगवान गुरु की मानते नहीं पर उनसे मांगते हैं ।
स्वयं को मना लो वरना मानना ही पड़ेगा, यानि खराब गति में जायेंगे तब मानना ही पड़ेगा । - मान “मैं” तक नहीं पहुंचने देता ।
- यदि मूंछ ऊपर रखी तो अगले जन्म में तुम्हारी पूंछ नीचे रहेगी या कहें नाक ऊपर रखने वालों की नाक ज़मीन पर घिसटती है,
जैसे हाथी बनकर उसकी सूंड़ नीचे घिसटती रहती है ।
या कहें मूंछ तो हमने काट दी पर पूंछ नहीं काटी इसलिये पूंछ वाले बनने की तैयारी कर रहे हैं ।
मुनि श्री विश्रुतसागर जी
2 Responses
Jagat me jo kuchh bhee ghatit hota hai usme pooree prakruti ki bhaagidaari hai.
Hum to uske ghatak maatra hai. Pratyek ghatak samaan hai, is samaanta ki prateeti hee MAARDAV DHARMA hai.
Muni shree PramaansagarG.
‘Maan”
poison
for
persons
on
religious
path