उत्तम मार्दव धर्म
निर्यापक मुनि श्री सुधा सागर जी ने लिखा है कि बड़े/ पुराने मुनि अपने से छोटे मुनियों को नमोस्तु करने पर आशीर्वाद नहीं, प्रतिनमोस्तु करते हैं ताकि उनको घमंड न आ जाए।
यह प्रतीक/ शुभकामना है कि तुम भी 7वें गुणस्थानवर्ती हो। यदि वे आशीर्वाद देते तो प्रतीक था कि तुम 6ठे गुणस्थानवर्ती हो, मैं 7वें गुणस्थानवाला।
मुनि श्री मंगल सागर जी
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उत्तम मार्दव में अभिमान एवं अहंकार को छोड़कर जीवन में विनम्रता एवं मदृता होना परम आवश्यक है।