.e-con.e-parent:nth-of-type(n+4):not(.e-lazyloaded):not(.e-no-lazyload), .e-con.e-parent:nth-of-type(n+4):not(.e-lazyloaded):not(.e-no-lazyload) * { background-image: none !important; } @media screen and (max-height: 1024px) { .e-con.e-parent:nth-of-type(n+3):not(.e-lazyloaded):not(.e-no-lazyload), .e-con.e-parent:nth-of-type(n+3):not(.e-lazyloaded):not(.e-no-lazyload) * { background-image: none !important; } } @media screen and (max-height: 640px) { .e-con.e-parent:nth-of-type(n+2):not(.e-lazyloaded):not(.e-no-lazyload), .e-con.e-parent:nth-of-type(n+2):not(.e-lazyloaded):not(.e-no-lazyload) * { background-image: none !important; } }

उत्तम सत्य

  • चारों कषायों (क्रोध, मान, माया, लोभ) के समाप्त करने पर ही प्रकट होता है,
    अन्यथा लाग-लपेट आ ही जाती है ।
  • आज का धर्म अनाथों का नाथ है, सत्य Ultimate होता है ।
  • सत्य को समझने के लिये गहराई में जाना होता है, ऊपर तो मगरमच्छ रहते हैं, मोती तो नीचे ही मिलते हैं ।
  • एक ज़ज सा. के सामने बहुत पुराना Case आया ।
    जल्दी निपटाने के लिये उन्होंने गुनहगार से कहा – मेरे प्रश्नों के हां या ना में ज़बाब देना ।
    गुनहगार – पहले आप मेरे एक प्रश्न का ज़बाब दें – क्या अब आपने अपनी पत्नि को पीटना बंद कर दिया है ?
    सत्य शब्दों की कैद में दम तोड़ देता है ।
    सत्य तो अभिप्राय और अनुभूति का विषय है ।
  • असत्य सफल होने के लिये सत्य की पोशाक पहन कर आता है ।
  • सत्य 10 प्रकार का है ।
    1. अक्षरात्मक
    2.गणितात्मक – जैसे 2+2 हमेशा ही 4 होंगे ।
    ये दोनौं सत्य जानवरों को नहीं मालूम होते ।
    3. भौगोलिक – जैसे दुनिया गोल है ।
    4. घटनात्मक – जैसे महावीर भगवान ने 2600 साल पहले मोक्ष प्राप्त किया था ।
    5. ऐतिहासिक
    6. जातीय – जैन जाति में पैदा हुये तो उनकी परंपरा को निभाना सत्य है ।
    7. व्यवहारिक – संसार चलाने के लिये ज़रूरत होती है, झूठ होते हुये भी समाज की स्वीकृति मिली हुई है ।
    8. ज्योतिष्क – इसका आगम में वर्णन है । जिसको जितना ज्ञान, उतने प्रतिशत सत्य भविष्यवाणी ।
    9. सैद्धांतिक – जैसे मोक्ष परिग्रह के पूर्ण त्याग से ही होता है ।
    10. आध्यात्मिक – यह गूंगे की मिठास की अनुभुति जैसा है ।
  • एक महिला कब्र को हवा कर रही थी । लोगों ने समझा बहुत पतिव्रता है ।
    पूछने पर पता लगा कि वसीयत में लिखा है कि जब तक कब्र सूख नहीं जाती उसे वसीयत का पैसा नहीं मिलेगा ।
     आंखो से देखा हुआ भी जरूरी नहीं  सत्य ही हो ।
  • सत्य ब्रम्हचारी होता है, इसके संतान नहीं होती, अकेला होता है ।
    झूठ वैसाखी के सहारे चलता है, सत्य अपने पैरों पर ।
  • एक मुलज़िम ज़ज के सामने पेश किया गया ।
    ज़ज ने पूछा – तुमने हिंसा, चोरी, कुशील क्या किया ?
    मुलज़िम ने कहा – कुछ नहीं ।
    फिर पुलिस क्यों पकड़ के लाई  है ?
    ज़बाब – मुझ में एक ही गंदी आदत है, झूठ बोलने की ।
    एक झूठ में सारी बुराईयां निहित हो जाती हैं ।
  • एक बहेलिया ने ज़िंदा चिड़िया का बच्चा हाथ में लेकर गुरू से पूछा –
    चिड़िया ज़िंदा है या मरी हुई ?
    गुरू – मरी हुई ।
  • बहेलिया ने गुरू को गलत सिद्ध करने के लिये हाथ खोला और बच्चे की जान बच गई ।
    किसी के उपकार  में बोला गया झूठ भी सत्य होता है ।
  • तीन प्रकार के लोग होते हैं 
    1. सच से लेना देना नहीं – सामान्य आदमी, सुनते पढ़ते तो हैं पर आचरण में नहीं लाते ।
    2. सत्य से लेना नहीं, पर देना – कुछ पंड़ित/प्रवचनकार ।
    3. सत्य से लेना भी और देना भी – साधू ।
  • 5 दुर्गुणों की वजह से झूठ बोला जाता है –
    1. क्रोध में
    2. लोभ में
    3. ड़र से
    4. हास्य में
    5. ज्यादा बोलने से ।
  • सत्य कड़वा नहीं होता,
    जैसे बुखार आने पर खाना अस्वाद लगता है ।

मुनि श्री सौरभसागर जी

Share this on...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives
Recent Comments

September 16, 2010

September 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
30