उपयोग

अशुभपयोग -> औदयिक भाव,
शुभोपयोग -> क्षयोपशमिक,
शुद्धोपयोग -> क्षयोपशमिक/औपशमिक/क्षायिक (श्रेणी चढ़ते समय) ।

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One Response

  1. उपयोग का तात्पर्य किसी वस्तु आदि एवं वाणी का होना होता है।उपयोग को तीन भागो में बताया गया है।अशुभपयोग में औदयिक भाव होते हैं, शुभोपयोग में क्षयोपशमिक होता है लेकिन शूद्वोपयोग में श्रेणी बढती रहती है।अतः जीवन में शुद्वोपयोग के भाव होना चाहिए ताकि कल्याण हो सकता है।

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