दोनों सम्यग्दर्शनों में 7 प्रकृतियों का उदय नहीं है पर विशुद्धता में बहुत फर्क है ।
क्षायिक सम्यग्दृष्टि 3 या 4 भवों में मोक्ष जबकि उपशम वाला अर्ध पुद. परा. काल (जो कि लगभग अनंत के बराबर है) तक संसार में भटक सकता है ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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उपरोक्त कथन सत्य है कि दोनों सम्यग्दर्शन में 7 प्रकृतियों का दमन है पर विशुद्वता में फर्क है।मिथ्याती कर्म के उदय में संसार में भटक सकता है। अतः मिथ्यात कर्म से बचना चाहिए ताकि जीवन में सम्यग्दर्शन उदय हो सकता है।
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उपरोक्त कथन सत्य है कि दोनों सम्यग्दर्शन में 7 प्रकृतियों का दमन है पर विशुद्वता में फर्क है।मिथ्याती कर्म के उदय में संसार में भटक सकता है। अतः मिथ्यात कर्म से बचना चाहिए ताकि जीवन में सम्यग्दर्शन उदय हो सकता है।