इंसान के ग़ुरूर की औक़ात बस इतनी सी है…
ना पहली बार ख़ुद नहा सकता है, ना आख़िरी बार ।
(श्रीमति शर्मा)
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2 Responses
यह कथन बिलकुल सत्य है कि इंसान की गुरुर की औकात इतनी सी है कि ना पहली बार खुद नहा सकता है न ही आख़िरी बार नहा सकता है। गुरुर में इंसान इतना भी भूल जाता है कि उसको अपनी औकात भी याद नहीं रहती है, जिसके कारण अपना जीवन बर्बाद कर लेता है लेकिन जो औकात को समझता है, वही अपना कल्याण कर सकता है।
यह कथन सत्य है कि गुरुर की औकात बस इतनी ही है कि ना पहिली बार नहा सकता है, न आखिरी बार।अतः जीवन में गुरुर की औकात समझना चाहिए ताकि कल्याण हो सकता है।जीवन में गुरुर से बचना चाहिए ताकि जीवन सुखदायी होगा।
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यह कथन बिलकुल सत्य है कि इंसान की गुरुर की औकात इतनी सी है कि ना पहली बार खुद नहा सकता है न ही आख़िरी बार नहा सकता है। गुरुर में इंसान इतना भी भूल जाता है कि उसको अपनी औकात भी याद नहीं रहती है, जिसके कारण अपना जीवन बर्बाद कर लेता है लेकिन जो औकात को समझता है, वही अपना कल्याण कर सकता है।
यह कथन सत्य है कि गुरुर की औकात बस इतनी ही है कि ना पहिली बार नहा सकता है, न आखिरी बार।अतः जीवन में गुरुर की औकात समझना चाहिए ताकि कल्याण हो सकता है।जीवन में गुरुर से बचना चाहिए ताकि जीवन सुखदायी होगा।