कर्म फल
लाठी से सिर फूटता है, पर (सिर्फ) लाठी कभी सिर फोड़ सकती नहीं।
दुःखी कर्मों से होते हैं, पर कर्म दुःखी कर सकते नहीं।
उनके पीछे कोई और रहता है – लाठी के पीछे दुश्मन, कर्म के पीछे हम स्वयं।
मुनि श्री सुधासागर जी
लाठी से सिर फूटता है, पर (सिर्फ) लाठी कभी सिर फोड़ सकती नहीं।
दुःखी कर्मों से होते हैं, पर कर्म दुःखी कर सकते नहीं।
उनके पीछे कोई और रहता है – लाठी के पीछे दुश्मन, कर्म के पीछे हम स्वयं।
मुनि श्री सुधासागर जी
One Response
मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने कर्म फल का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है! जीवन में कर्म फल के लिए स्वयं जिम्मेदार होते हैं, किसी को दोष देने की आवश्यकता नहीं है! अतः जीवन में अच्छे कर्म करना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है!