कर्म-फल
कर्म के फल में राग-द्वेष, मोह की अवस्था में होता है ।
दूसरी है जाग्रत अवस्था, जिसमें कर्म अपना फल तो देते हैं पर जीव उससे प्रभावित नहीं होते ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
कर्म के फल में राग-द्वेष, मोह की अवस्था में होता है ।
दूसरी है जाग्रत अवस्था, जिसमें कर्म अपना फल तो देते हैं पर जीव उससे प्रभावित नहीं होते ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
One Response
कर्म के फल में राग-द्वेष और मोह की अवस्था में भी होता है और दूसरी जाग़त अवस्था में भी होता है लेकिन इनका फल भव भव में मिलता है हालाकि उससे अन्य जीव प़भावित नहीं होते हैं। अतः अच्छे कर्म करने का प़यास करना चाहिए जिससे अगले भव में अच्छा फल प़ाप्त हो सके ।