कार्मण/नोकर्म द्रव्य

कार्मण द्रव्य बंधने के बाद एक आवली + एक समय तक स्थिर रहता है (इस काल में परिवर्तित नहीं कर सकते)।
इसे कहते हैं → बंधावली/ आबाधा-काल (उदय के अयोग्य)।
आबाधा के बाद पहले समय में जो उदय होगा, दूसरे समय में वह द्रव्य निष्क्रिय हो जायेगा।
1½ गुणा प्रमाण द्रव्य सत्ता में बना रहता है।
नोकर्म द्रव्य का जिस समय बंध, उसी समय उदय भी। दोनों को कहते हैं एक समय प्रबद्ध बंध/ उदय।

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

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One Response

  1. मुनि महाराज जी ने कार्मण एवं नोकर्म की परिभाषा का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है!

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