सयोग केवली के क्षयोपशम भाव का अभाव होने से भावेन्द्रियां नहीं होतीं।
पर्याप्तियां द्रव्येन्द्रियों की अपेक्षा से जानें।
प्राण 4( श्वासोच्छवास, आयु, वचन, काय),
अयोग केवली के मात्र आयु प्राण।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (जीवकांड- गाथा 701)
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मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने केवली के प़ाण, इन्द़ियो एवं पर्याप्तिया आदि की परिभाषा बताई गई है वह पूर्ण सत्य है।
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मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने केवली के प़ाण, इन्द़ियो एवं पर्याप्तिया आदि की परिभाषा बताई गई है वह पूर्ण सत्य है।