क्रिया = जल छानना।
अर्थ-क्रिया = जीवों की रक्षा के भाव से, जल छानना।
निर्यापक मुनि श्री वीरसागर जी
Share this on...
4 Responses
मुनि श्री वीरसागर महाराज जी ने क़िया का विश्लेषण किया गया है वह पूर्ण सत्य है! जीवन में परमार्थिक कार्यों में क़ियायें तो करते हैं, लेकिन उसके भाव मालूम नहीं रहते हैं, अतः क़ियाओं के साथ अर्थ क़िया मालुम होना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है!
4 Responses
मुनि श्री वीरसागर महाराज जी ने क़िया का विश्लेषण किया गया है वह पूर्ण सत्य है! जीवन में परमार्थिक कार्यों में क़ियायें तो करते हैं, लेकिन उसके भाव मालूम नहीं रहते हैं, अतः क़ियाओं के साथ अर्थ क़िया मालुम होना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है!
‘अर्थ-क्रिया’ se hum kya samjhe ?
अर्थ क्रिया = जिस क्रिया का अर्थ निकले जैसे पानी सिर्फ छानने के लिए नहीं बल्कि जीवों की रक्षा के लिए।
Okay.