क्रोध आपका ऐसा हुनर है…
जिसमें फंसते भी आप हैं,
उलझते भी आप हैं,
पछताते भी आप हैं
और
पिछड़ते भी आप हैं।
(शैलेन्द्र)
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जीवन में क़ोध आना बहुत खतरनाक है।इसमें स्वयं भी जलते हैं, उलझते भी हैं, पछताते एवं पिछडते भी हैं। क़ोध अग्नि की तरह है जो ज्वाला बन कर भस्म कर देती है।अतः जीवन में सफल होना है तो क़ोध करना छोडना चाहिये जिससे जीवन में सुख शान्ती रहेगी।
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जीवन में क़ोध आना बहुत खतरनाक है।इसमें स्वयं भी जलते हैं, उलझते भी हैं, पछताते एवं पिछडते भी हैं। क़ोध अग्नि की तरह है जो ज्वाला बन कर भस्म कर देती है।अतः जीवन में सफल होना है तो क़ोध करना छोडना चाहिये जिससे जीवन में सुख शान्ती रहेगी।