गणधर के शिष्य “गुणधर” (गुणों के धारक)।
उत्तम → सम्यक्चारित्र के धारक।
मध्यम → सम्यग्दर्शन के धारक।
जघन्य → सिर्फ नाम के धारक जैसे आम जैन।
चिंतन
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4 Responses
चितनं में गणधर के शिष्य को अलग अलग पारिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए उत्तम यानी सम्यकचारित्र के शिष्य होना परम आवश्यक है।
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चितनं में गणधर के शिष्य को अलग अलग पारिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए उत्तम यानी सम्यकचारित्र के शिष्य होना परम आवश्यक है।
What about ‘Samyaggyan’ ?
स.दर्शन और स.ज्ञान तो युगपत होते हैं न! इसलिए अलग से नहीं लिया।
Okay.