भगवान को अनंतचतुष्टय-धारी कहने से पहले 18 दोषों से रहित कहा है ।
मिथ्यात्व समाप्त होने पर सम्यग्दर्शन प्रकट होना कहा ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
(महान तपस्वी मुनि पूज्य नहीं, 28 मूलगुण निर्दोष पालन करने वाला पूज्य) ।
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यह कथन सत्य है कि भगवान को अनंतचतुष्टय धारी कहने से पहले 18दोषो से रहित कहा गया है। अतः मिथ्यात्व समाप्त होने पर ही सम्यग्दर्शन प़कट होना कहा गया है। अतः मुनियों को 28मूलगुण निर्दोष पालन करने वाला ही पूज्य होता है।
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यह कथन सत्य है कि भगवान को अनंतचतुष्टय धारी कहने से पहले 18दोषो से रहित कहा गया है। अतः मिथ्यात्व समाप्त होने पर ही सम्यग्दर्शन प़कट होना कहा गया है। अतः मुनियों को 28मूलगुण निर्दोष पालन करने वाला ही पूज्य होता है।