गुरु-सानिध्य
एक चोर साधु की कुटिया को खुला देखकर, चोरी करने घुस गया।
कुछ न मिलने पर लौटने लगा।
साधु… “आये हो तो एक माला फेर लो।”
चोर माला फेरने लगा।
उसी समय राजा गश्त पर निकला, कुटिया का दरवाजा खुला देखकर अंदर आया।
दोनों को ध्यान में देख अपना हार चढ़ा गया।
साधु ने हार चोर को दे दिया।
चोर …थोड़ी देर के गुरू-सानिध्य से कीमती हार मिला, पूरे समय के सानिध्य से मालामाल क्यों न हो लूं !
वह शिष्य बन गया।
मुनि श्री विशालसागर जी
3 Responses
‘गश्त’ ka kya meaning hai, please ?
Routine checking/ inspection.
Okay.