गुस्सा,नफ़रत ये सब धीमा ज़हर हैं….
इन्हें हम ख़ुद पीते हैं और सोचते हैं… मरेगा दूसरा..!
(सुरेश)
Share this on...
One Response
उक्त कथन सत्य है कि गुस्सा और नफ़रत धीमा जहर है जिसको हम लोग खुद पीते हैं, अतः इसके परिणाम खुद भोगना पड़ता है न की कोई दूसरा भोगता है। अतः जीवन में गुस्सा और नफ़रत नहीं करना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता हैं।
One Response
उक्त कथन सत्य है कि गुस्सा और नफ़रत धीमा जहर है जिसको हम लोग खुद पीते हैं, अतः इसके परिणाम खुद भोगना पड़ता है न की कोई दूसरा भोगता है। अतः जीवन में गुस्सा और नफ़रत नहीं करना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता हैं।