गोत्र
त्रियंच यदि पंचम गुणस्थानवर्ती भी हों और आहार के समय चौके में आ जाये तो अंतराय !!
यह है गोत्र का प्रभाव ।
जैन धर्म को तो कोई भी ग्रहण कर सकता है पर जैन अनुष्ठानों को करने में धार्मिक/सामाजिक नियमों का पालन करना होता है ।
मुनि श्री सुधासागर जी