चारित्र

चारित्र पर किताब बनाना और चारित्र को किताब बनाना – दो अलग बातें हैं।
साधु दूसरी पर काम करता है और श्रावक पहली पर।

मुनि श्री मंगलानंद सागर जी महाराज

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2 Responses

  1. मुनि श्री मंगलसागर महाराज जी ने चारिउ को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए श्रावक को किताब बनाने की जगह अपने जीवन में उतारने का प़यास करना परम आवश्यक है।

  2. Beautiful post ! Bahut hi sundar shabdon me ‘Saadhu’ aur ‘Shraavak’ ke chaaritra me antar bata diya ! Namostu Gurudev !

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