चिंतन / ध्यान

चिंतन ध्यान से पहले की प्रक्रिया।
चिंतन में वस्तु के इर्द गिर्द घूमते हैं, ध्यान में वस्तु के केंद्र पर केन्द्रित; दोनों एक साथ चलते हैं।
विशुद्धता(गुणस्थान) की अपेक्षा → प्रारम्भ तथा अंत समान गुणस्थान पर।

शंका-समाधान- 3 (मुनि श्री प्रणम्यसागर जी)

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8 Responses

  1. मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने चिंतन एवं ध्यान का विस्तृत परिभाषा बताई गई है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में सर्व प़थम चिंतन करना परम आवश्यक है ताकि ध्यान लगने में समर्थ हो सकते हैं।

  2. ‘विशुद्धता(गुणस्थान) की अपेक्षा → प्रारम्भ तथा अंत समान गुणस्थान पर।’ Is sentence ka kya meaning hai, please ?

    1. चिंतन और ध्यान दोनों में ही प्रारम्भ तथा अंत के गुणस्थान समान रहेंगे।

  3. Donon ke प्रारम्भ तथा अंत के गुणस्थान kaunse honge ?

    1. अभ्यास रूप 1 से 5 गुण स्थान।
      सही मायने में ध्यान 6 से आगे।

  4. सही मायने में ध्यान 6 से 14th गुण स्थान tak ya Siddha avastha me bhi hota hai ?

    1. सिद्धांत…ध्यान 6-7 से 12 गुणस्थान तक।
      उपचार से 13 तथा 14 गुणस्थानों में भी।

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