ज़िंदगी
ज़िंदगी Musical Chair का खेल ही है – एक-एक करके कुर्सियाँ ख़त्म होती जाती हैं, एक-एक करके व्यक्तियों का खेल समाप्त होता जाता है।
अंत में हमारा भी संगीत/ खेल समाप्त हो जायेगा, कुर्सी छीन ली जायेगी।
चिंतन
लेकिन जो खेल जीत जाता है, उसकी कुर्सी नहीं खिसकती (उसे मोक्ष की स्थायी कुर्सी मिल जाती है)……………..निधि – मुम्बई
5 Responses
उपरोक्त कथन सत्य है कि जिन्दगी संगीत की कुर्सी है, एक एक करके कुर्सियां समाप्त होने लगती हैं , अंत में हमारा संगीत खेल समाप्त हो जाता है! अतः जीवन का कल्याण करना हो तो जिन्दगी में अच्छे कार्य करना चाहिए ताकि आपके मरण के बाद याद रह सके!
Aur jo is game ka winner hota hai, uski kursi kabhi nahi chinti (Mokhsh ki awastha) !
बहुत सुन्दर टिप्पणी, आइटम में डालता हूँ।
इस दुनिया में कोई भी,
रहता नही अनंत।।
तू चल, मैं आता हूं
होता सब का अंत।।
Dhanyawaad Uncle !