1. 4 गुणस्थान वाले सम्यक्ज्ञानी
2. समयसारानुसार – आत्मलीन ही ज्ञानी, बाकि मिथ्यादृष्टि
(तो समयसार मानने वाले अपने आप को सम्यक्ज्ञानी कैसे कह सकते हैं)
गाथा – 47 – ज्ञानशाला
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यह कथन सत्य है कि चार गुणस्थान वाले सम्यग्ज्ञानी होते हैं। जबकि समयानुसार आत्मलीन ही ज्ञानी, बल्कि मिथ्यादृष्टि। अतः यह सही है कि समयसार मानने वाले अपने आप को सम्यग्ज्ञानी केसे कह सकते हैं। अतः आत्मज्ञानी तो मुनि और साधु ही हों सकते है।
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यह कथन सत्य है कि चार गुणस्थान वाले सम्यग्ज्ञानी होते हैं। जबकि समयानुसार आत्मलीन ही ज्ञानी, बल्कि मिथ्यादृष्टि। अतः यह सही है कि समयसार मानने वाले अपने आप को सम्यग्ज्ञानी केसे कह सकते हैं। अतः आत्मज्ञानी तो मुनि और साधु ही हों सकते है।