1. क्रोध के कारण ज्ञेय पदार्थ का क्रोधी ना होना, जैसे अग्नि से दर्पण गरम ना होना ।
2. क्रोध का निमित्त पा आत्मा का क्रोधित होना, क्योंकि आत्मा ने ज्ञेय के साथ संबंध स्थापित कर लिया है ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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4 Responses
उक्त कथन सत्य है कि क़ोध के कारण ज्ञेय पदार्थ का क़ोधी ना होना, जेसे अग्नि से दर्पण गरम ना होना है।क़ोध का निमित्त पर आत्मा का क़ोधित होना, क्योंकि आत्मा ने ज्ञेय के साथ संबंध स्थापित कर लिया है।
अतः जीवन में क़ोध का निमित्त आत्मा से बचाव करना आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
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उक्त कथन सत्य है कि क़ोध के कारण ज्ञेय पदार्थ का क़ोधी ना होना, जेसे अग्नि से दर्पण गरम ना होना है।क़ोध का निमित्त पर आत्मा का क़ोधित होना, क्योंकि आत्मा ने ज्ञेय के साथ संबंध स्थापित कर लिया है।
अतः जीवन में क़ोध का निमित्त आत्मा से बचाव करना आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
“अग्नि से दर्पण गरम ना होना” ka kya significance hai?
जैसे दर्पण में अग्नि दिखने से दर्पण गरम नहीं होता ,
वैसे ही हमको निमित्त मिलने पर गरम नहीं होना चाहिये ।
Okay.