ज्योतिष विमान

तिर्यक लोक (मनुष्य लोक) के ज्योतिष विमान भ्रमण करते रहते हैं।
अन्य द्वीप/ समुद्रों के आधे भ्रमण करते हैं, आधे अवस्थित।
स्थिरता केवल तारों में जैसे ध्रुवतारा।

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (तत्त्वार्थ सूत्र – 4/15)

Share this on...

One Response

  1. मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने ज्योतिष विमान को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives
Recent Comments

September 4, 2024

December 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
3031