तत्त्वार्थ सूत्र पूर्ण रूप से सिद्धांत ग्रंथ नहीं है क्योंकि उसमें दो अध्याय चरणानुयोग के भी हैं। इसलिये इसे अष्टमी चौदस को पढ़ा जा सकता है, विशेषरूप से पर्युषण में। रात्रि में भी पढ़ सकते हैं।
निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
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मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने तत्वार्थ सूत्र को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है।
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मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने तत्वार्थ सूत्र को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है।
‘सिद्धांत ग्रंथ’ ki kya visheshta hoti hai ? Ise clarify karenge, please ?
एक जिसमें सिद्धांतों की बात कही हो व्यवहार की नहीं।
दो जिसमें सिद्ध भगवानों की बात कही गई हो बाकी चीज़ों पर या तो नहीं या कम प्रकाश डाला हो।
Okay.