उक्त कथन सत्य है जो गुरु और भगवान् को बना लेते हैं, फिर तनाव कैसा, लेकिन वह जानते नहीं हैं कि भगवान् और गुरु की शरण में जाने पर ही नाव की तरह अपनी नैया भी निश्चित पार लगा देते हैं। अतः जीवन में नैया पार लगाने के लिए भगवान और गुरु का आश्रय लेना आवश्यक है।
One Response
उक्त कथन सत्य है जो गुरु और भगवान् को बना लेते हैं, फिर तनाव कैसा, लेकिन वह जानते नहीं हैं कि भगवान् और गुरु की शरण में जाने पर ही नाव की तरह अपनी नैया भी निश्चित पार लगा देते हैं। अतः जीवन में नैया पार लगाने के लिए भगवान और गुरु का आश्रय लेना आवश्यक है।