तीर्थंकर की माता के स्वप्न
- हाथी – उत्तम पुत्र होगा
- उत्तम बैल – समस्त लोक में ज्येष्ठ
- सिंह – अनन्त बल से युक्त
- माला – समीचीन धर्म का प्रवर्तक
- लक्ष्मी – सुमेरू पर्वत के मस्तक पर देवों के द्वारा अभिषेक को प्राप्त
- पूर्ण चन्द्रमा – लोगों को आनंद देने वाला
- सूर्य – दैदीप्यमान प्रभा का धारक
- दो युगल कलश – अनेक निधि को प्राप्त
- युगल मछलियाँ – सुखी होगा
- सरोवर – अनेक लक्षणों से सुशोभित
- समुद्र – केवली होना
- सिंहासन – जगत-गुरु होकर साम्राज्य प्राप्त करेगा
- देवों का विमान – स्वर्ग से अवतीर्ण / देवों द्वारा पूज्य( जो स्वर्ग से नहीं आते)
- नागेन्द्र का भवन – अवधिज्ञान से युक्त
- चमकते रत्नों की राशि – गुणों की खान
- निर्धूम अग्नि – कर्मरूपी ईंधन को जलाने वाला होगा ।
जैनेन्द्र सिद्धांत कोश
One Response
स्वप्न निमित्त का मतलब इसके माध्यम से शुभ/अशुभ को जान लेना स्वप्न निमित्त ज्ञान कहलाता है।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि सिर्फ तीर्थंकर की माता को ही यह सोलह स्वप्न आते हैं,जो कि उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। इन स्वप्नों के बाद तीर्थंकरों का ही जन्म होता है। स्वप्न तो हर माता को आते होंगे लेकिन तीर्थंकरों के जन्म में उक्त स्वप्नों का अनिवार्यता है,जिसका उल्लेख आगम में किया गया है।