दान

दान अपने से अधिक पुण्यात्मा को जैसे मुनियों को आहार-दान ।
सहयोग (करुणा-दान) हीन-पुण्यात्मा को ।

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  1. परोपकार की भावना से अपनी वस्तु का अर्पण करना दान है।दान चार प्रकार के होते हैं, आहार दान, उपकरण दान, ज्ञान दान और करुणा दान। अतः यह कथन सत्य है कि आहार दान अपने से अधिक पुण्यात्मा को जैसे मुनियों ने लिए होता है, जबकि सहयोग या करुणा दान हीन को किया जाता है।

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