देवों की संख्या

सबसे ज्यादा ज्योतिष्क देव, उनसे कम व्यंतर, फिर भवनवासी तथा सबसे कम सौधर्म/ ईशान।

(जीवकांड-गाथा 161) मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

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4 Responses

  1. मुनि महाराज जी ने देवों की संख्या का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है!

  2. Isme ‘सौधर्म/ ईशान’ ki hi kyun baat ki, baaki ‘वैमानिक’ devon ki kyun nahin ?

    1. त.सूत्र जी के 4.19 पढ़ाते समय बताया गया था कि 1,2 स्वर्ग के 60लाख जिनालय जबकि पूरे वैमानिकों के 84,97,023
      यानी 3 से लेकर ऊपर की संख्या बहुत कम है।

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