द्रव्य लेश्या

वर्ण-नामकर्म के उदय से शरीर का वर्ण होता है।
इसे लेश्या इसलिए कहा क्योंकि यह शरीर का रंग बनाती है और रंग से गोरे/ काले से अभिमान/ हीनता का भाव आता है।

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (जीवकांड गाथा – 494)

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One Response

  1. मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने द़व्य लेश्या का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है।

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