पूज्य सब, पर प्रथम सात(5 परमेष्ठी,जिनबिंब,जिनागम) द्रव्य से भी पूज्य हैं ।
5 प्रत्यक्ष सजीव हैं ।
जिनालय पर पैर भी रखते हैं ।
जिनधर्म का अर्घ नहीं चढ़ता ।
आर्यिका श्री वर्धश्वनंदनी माताजी
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3 Responses
देव–जो सदा परम सुख में लीन रहते हैं,वे देव है,या जन्म मरण रुप संसार से मुक्ति हो गये है वे देव है,या धर्म के विधाता हैं वे देव कहलाते हैं। अतः पंचपरमेष्टी,जिन धर्म, जिनवाणी, जिनबिम्ब और जिन मन्दिर ये सब नव देवता मानें गये है। अतः इसमें पूज्य सब है लेकिन पांच प़त्यक्ष सजीव है,फर जिनालय पर पैर भी रखतें हैं और जिन धर्म का अर्थ नही चढ़ता है।
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देव–जो सदा परम सुख में लीन रहते हैं,वे देव है,या जन्म मरण रुप संसार से मुक्ति हो गये है वे देव है,या धर्म के विधाता हैं वे देव कहलाते हैं। अतः पंचपरमेष्टी,जिन धर्म, जिनवाणी, जिनबिम्ब और जिन मन्दिर ये सब नव देवता मानें गये है। अतः इसमें पूज्य सब है लेकिन पांच प़त्यक्ष सजीव है,फर जिनालय पर पैर भी रखतें हैं और जिन धर्म का अर्थ नही चढ़ता है।
“जिनधर्म” ,द्रव्य से पूज्य kyun nahi hai?
जिनधर्म तो भावात्मक/ आदेशात्मक है,
उस पर द्रव्य कैसे चढ़ाओगे ?