“सागर” उनके नाम के आगे, जिनका सोच/लक्ष्य असीम है ,
अजितकुमार का सोच/लक्ष्य जब असीम हुआ तब उनका नाम “अजितनाथ” हो गया था ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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3 Responses
नाम रखने की कोई व्यवस्था नही है लेकिन नाम ऐसे रखना चाहिए जिससे उनमे वह क्षमता हो सके।साधुऔ के नाम में सागर जोड़ा गया है इससे उनके भाव सागर बनने के आयेंगे।
अजितकुमार का सोच एवं लक्ष्य असीम था, अतः उनका नाम अजितनाथ हो गया था।
अतः उचित होगा कि नाम वह रखना चाहिए जिसमे उसकी क्षमता एवं लक्ष्य झलकता हो।आजकल की धारणा बहुत विचित्र है कि उसके नाम का कोई भाव प़कट नहीं होता है।
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नाम रखने की कोई व्यवस्था नही है लेकिन नाम ऐसे रखना चाहिए जिससे उनमे वह क्षमता हो सके।साधुऔ के नाम में सागर जोड़ा गया है इससे उनके भाव सागर बनने के आयेंगे।
अजितकुमार का सोच एवं लक्ष्य असीम था, अतः उनका नाम अजितनाथ हो गया था।
अतः उचित होगा कि नाम वह रखना चाहिए जिसमे उसकी क्षमता एवं लक्ष्य झलकता हो।आजकल की धारणा बहुत विचित्र है कि उसके नाम का कोई भाव प़कट नहीं होता है।
Lekin post mein, “अजितसागर” ke place mein, “अजितनाथ”, ka description kiya gaya hai?
अजितसागर नहीं अजितकुमार ने जब अपना लक्ष्य असीम कर लिया तब वे भगवान बनने की यात्रा पर निकल गए और सबके
नाथ बनकर अजितनाथ बन गये ।