मन की निर्मलता अनेकांत से,
वचन की निर्मलता स्याद्वाद से,
काय की निर्मलता अहिंसा से आती है।
(कमलकांत)
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निर्मलता का तात्पर्य पवित्रता होना होता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि मन की निर्मलता अनेकांत से ,वचन की निर्मलता स्वाध्याय से, जबकि काय की निर्मलता अहिंसा से आती है। अतः जीवन में पवित्रता लाने के लिए इन तीनों बातों का ध्यान रखना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
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निर्मलता का तात्पर्य पवित्रता होना होता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि मन की निर्मलता अनेकांत से ,वचन की निर्मलता स्वाध्याय से, जबकि काय की निर्मलता अहिंसा से आती है। अतः जीवन में पवित्रता लाने के लिए इन तीनों बातों का ध्यान रखना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।