निवृत्ति-अपर्याप्तक

क्या अपर्याप्तक अवस्था में पर्याप्त-नामकर्म के उदय में निम्न पर्याप्तियें पूर्ण हो जाती हैं ?
(एकेइंद्रिय-4, विकलेंद्रिय-5, संज्ञी-6)
1. मत – जब तक दूसरी(शरीर) पर्याप्ति पूर्ण नहीं होती तब तक निवृत्ति-अपर्याप्तक रहता है(सर्वमान्य मान्यता)।
2. मत – सब पर्याप्तियां पूर्ण होने तक निवृत्ति-अपर्याप्तक रहता है।

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

Share this on...

One Response

  1. मुनि महाराज जी ने निवृत्ति एवं अपर्याप्तक की परिभाषा की गई है वह पूर्ण सत्य है!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives
Recent Comments

April 2, 2023

December 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
3031