1. कर्म-बंध पर निषेक रचना हो जाती है/ निश्चित हो जाती है, कर्म स्थितियों के अनुसार व्यवस्थित हो जाते हैं।
2. उदय में आते समय उसी Setting से धीरे-धीरे उदय में आते हैं।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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मुनि महाराज जी ने निषेक का उदाहरण दिया है वह पूर्ण सत्य है! अतः जीवन में जब बुरे कर्मों का आना हो तो उसे उसी समय समाप्त करना चाहिए ताकि उदय में न आ सके!
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मुनि महाराज जी ने निषेक का उदाहरण दिया है वह पूर्ण सत्य है! अतः जीवन में जब बुरे कर्मों का आना हो तो उसे उसी समय समाप्त करना चाहिए ताकि उदय में न आ सके!