निसर्गज़/अधिगमज़ सम्यग्दर्शन में ही नहीं,
सम्यक्ज्ञान और सम्यक्चारित्र में भी लगता है ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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जो परोपदेश के बिना सहज उत्पन्न होता है उसे निसर्गज़ सम्यग्दर्शन कहते हैं।
उपदेश पूर्वक जो सम्यग्दर्शन होता है वह अधिगमज़ सम्यग्दर्शन है। इन दोनों सम्यग्दर्शन लगता है तो सम्यग्ज्ञान और सम्यकचारित्र में भी अवश्य लगता है।
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जो परोपदेश के बिना सहज उत्पन्न होता है उसे निसर्गज़ सम्यग्दर्शन कहते हैं।
उपदेश पूर्वक जो सम्यग्दर्शन होता है वह अधिगमज़ सम्यग्दर्शन है। इन दोनों सम्यग्दर्शन लगता है तो सम्यग्ज्ञान और सम्यकचारित्र में भी अवश्य लगता है।