परिपक्व
पहले स्कूल में दाखिला उन बच्चों को मिलता था जो एक हाथ से दूसरी ओर का कान पकड़ लें।
मुनिराज भी प्रतिदिन 3 बार अपने कान पकड़ते हैं प्रतिक्रमण के रूप में।
मुनि श्री मंगलानंद जी
पहले स्कूल में दाखिला उन बच्चों को मिलता था जो एक हाथ से दूसरी ओर का कान पकड़ लें।
मुनिराज भी प्रतिदिन 3 बार अपने कान पकड़ते हैं प्रतिक्रमण के रूप में।
मुनि श्री मंगलानंद जी
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मुनि महाराज जी का कथन सत्य है कि पहिले स्कूल में दाखिला उन बच्चों को मिलता था जो एक हाथ से दूसरी ओर का कान पकड सके! मुनिराज भी प़तिदिन तीन बार अपने कान पकड़ने हैं, प़तिकमण के रुप में! अतः जीवन में परिपक्वता के लिए पुरुषार्थ करना आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है!