परोपकार तो भावना करते ही हो जाता है (अपना),
सामने वाले को उसका लाभ मिले भी/ना भी मिले/
हो सकता है नुकसान ही हो जाये ।
श्री लालमणी भाई
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उपरोक्त कथन सत्य है कि जीवन में हर कोई परोपकार की भावना अपने लिए करते हैं, जिससे सामने वाले को लाभ मिले भी या न मिले भी और हो सकता है नुकसान भी हो जाये। लेकिन परोपकार में किसी का नुक़सान नहीं हो जाये इस विषय का ध्यान रखना आवश्यक है तभी अपना कल्याण कर सकता हैं।
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उपरोक्त कथन सत्य है कि जीवन में हर कोई परोपकार की भावना अपने लिए करते हैं, जिससे सामने वाले को लाभ मिले भी या न मिले भी और हो सकता है नुकसान भी हो जाये। लेकिन परोपकार में किसी का नुक़सान नहीं हो जाये इस विषय का ध्यान रखना आवश्यक है तभी अपना कल्याण कर सकता हैं।