देशना लब्धि (जिनवाणी सुनने) की पात्रता उसी में जो भक्ष्य-अभक्ष्य का विवेक रखता है।
सम्यग्दर्शन की भूमिका/योग्यता – जो व्यसन मुक्त हो।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि जिनवाणी सुनने की पात्रता उसी में होती है जो भक्ष्य या अभक्ष्य का विवेक रखता है। सम्यग्दर्शन की भुमिका या योग्यता, व्यसन मुक्त होना चाहिए।
योग्य पात्र पंचपरमेष्ठी या श्रावकों या आर्यिका होते हैं।
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आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि जिनवाणी सुनने की पात्रता उसी में होती है जो भक्ष्य या अभक्ष्य का विवेक रखता है। सम्यग्दर्शन की भुमिका या योग्यता, व्यसन मुक्त होना चाहिए।
योग्य पात्र पंचपरमेष्ठी या श्रावकों या आर्यिका होते हैं।